कमरे का नजारा दिल दहला देने वाला था।
पूरी तरह नग्न एक युवक फर्श पर चौपाया सा बना पड़ा था। उसकी कोहुनियां और घुटने मुड़े हुए थे, जिनके बल पर उसका मृत शरीर टिका हुआ था, जबकि थूथन फर्श पर पड़ा था, और एक नजर देखकर यूं लगता था जैसे कोई कुत्ता आराम फरमा रहा हो।
लाश से थोड़ी दूरी पर पैडेस्टल फैन का ऊपरी हिस्सा रखा हुआ था, जबकि उसकी रॉड स्टैंड तक मृतक के ऐनस में घुसी पड़ी थी, शरीर पर जगह जगह कट के निशान दिखाई दे रहे थे, सिर फूटा पड़ा था, मगर खून नहीं टपक रहा था, और फर्श पर फैला खून भी स्थिर था, यानि हत्या हुए कई घंटे बीत चुके थे।
सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाली बात ये थी कि मृतक ने ब्रॉ पहन रखी थी। साथ ही गले में नेकलेस और कानों में बालियां भी डाले हुए था, जैसे वह मर्द न होकर कोई औरत हो।
गर्दन में कुत्तों को पहनाया जाने वाला पट्टा था, जिसकी जंजीर बेड के एक पैर के साथ बंधी हुई थी। जैसे किसी इंसान को नहीं बल्कि जानवर को वहां लाकर बांध दिया गया हो।
कोहुनियों के दोनों तरफ मांस के लोथड़े पड़े थे, वह शरीर के किस हिस्से से काटे गये थे, उसका पता लाश को पलटे बिना नहीं लगने वाला था। और यादव फिलहाल उसकी स्थिति नहीं बदलना चाहता था।
डेडबॉडी के मुआयने से फारिग होकर उसने कमरे का मुआयना करना शुरू किया, जो कि हद से ज्यादा अस्त व्यस्त दिखाई दे रहा था। यूं जैसे कत्ल करने से पहले मृतक को इधर उधर गिराकर, पटक कर पीटा गया हो, जिसके कारण बहुत सारी चीजें फर्श पर फैली नजर आ रही थीं।
साईड टेबल पर रखा नाईट लैंप नीचे गिरकर टूट गया था। दाईं तरफ की दीवार पर लगी एलईडी टीवी तिरछी हुई पड़ी थी, जबकि सेट टॉप बॉक्स तार के सहारे नीचे लटक रहा था और टीवी कैबिनेट के किनारे पर खून लगा हुआ था। इसी तरह आलमारी के पल्लों पर भी खून के धब्बे मौजूद थे।
बेड पर बिछा मैट्रेस आधे से ज्यादा नीचे लटक रहा था। पानी की एक बोतल लुढ़की पड़ी थी, कांच के दो गिलास टूटे पड़े थे। जबकि एक लैपटॉप लाश से दूर फर्श पर उपेक्षित सा पड़ा था।
वह तमाम बातें इस तरफ मजबूत इशारा कर रही थीं कि मरने से पहले कातिल और मकतूल के बीच जमकर संघर्ष हुआ था, वरना कमरे में उतनी अफरा तफरी नहीं दिखाई दे रही होती, दीवार और आलमारी पर खून के धब्बे भी नहीं मिले होते।
कत्ल हुए युवक का नाम आदित्य त्यागी था, उसकी हत्या शिकारी के खुद शिकार हो जाने जैसे घटना थी। ऐसी घटना जिसने पुलिस महकमे को झकझोर कर रख दिया। इसलिए नहीं कि वह बड़े बाप की औलाद था, बल्कि इसलिए क्योंकि हत्यारा हैवानियत की तमाम सीमायें पार कर गया था।
पुलिस ने त्यागी की जिंदगी के बखिये उधेड़ने शुरू किये तो एक के बाद एक ऐसे भयानक और दिल दहला देने वाले राज सामने आये कि खुद इंवेस्टिगेशन ऑफिसर को आदित्य त्यागी की हत्या जायज दिखाई देने लगी।
मगर अपराधी को गिरफ्तार करना उसकी ड्यूटी थी, इसलिए जी जान से हत्यारे की तलाश में जुटा हुआ था। ये अलग बात थी कि कातिल का दूर दूर तक कोई सुराग नज़र नहीं आ रहा था।
‘भेड़िये’
लेखक संतोष पाठक की जादुई कलम से निकला एक दिल दहला देने वाला उपन्यास। ऐसा उपन्यास जिसका अंत पढे बिना आपको चैन नहीं मिलेगा। और अंत ऐसा जिसकी आपने कल्पना तक नहीं की होगी।
तो चलिये पता लगाते हैं भेड़िये के बारे में ….
ASIN : B0DKCXXFMD
Publisher : Thrill world; 1st edition (19 October 2024)
Language : Hindi
File size : 2581 KB
Simultaneous device usage : Unlimited
Text-to-Speech : Enabled
Screen Reader : Supported
Enhanced typesetting : Enabled
Word Wise : Not Enabled
Print length : 262 pages