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Mahan Khagolvid-Ganitagya Aryabhat (Hindi)

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Price: ₹44.84
(as of May 15, 2024 03:47:27 UTC – Details)


कभी-कभी सही वैज्ञानिक सिद्धांत भी सदियों तक स्वीकार नहीं किए जाते। उन्हें प्रस्तुत करनेवाले वैज्ञानिक लंबे समय तक गुमनाम और उपेक्षित रहते हैं। विज्ञान के इतिहास में इस तरह के अनेक उदाहरण मिलते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है—आर्यभट और गणित-ज्योतिष से संबंधित उनका क्रांतिकारी कृतित्व।
आर्यभट प्राचीन भारत के एक सर्वश्रेष्‍ठ गणितज्ञ-खगोलविद् थे। पाश्‍चात्य विद्वान् भी स्वीकार करते हैं कि आर्यभट अपने समय (ईसा की पाँचवीं-छठी सदी) के एक चोटी के वैज्ञानिक थे।
आर्यभट भू-भ्रमण का सिद्धांत प्रस्तुत करनेवाले पहले भारतीय हैं। उन्होंने सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के वैज्ञानिक कारण दिए हैं।
आर्यभट ने वृत्त की परिधि और इसके व्यास के अनुपात का मान 3.1416 दिया है, जो काफी शुद्ध मान है। इसे भी उन्होंने ‘आसन्न’  यानी ‘सन्निकट’  मान कहा है।।
त्रिकोणमिति की नींव भले ही यूनानी गणितज्ञों ने डाली हो, परंतु पाश्‍चात्य विद्वान् भी स्वीकार करते हैं कि आज सारे संसार में जो त्रिकोणमिति पढ़ाई जाती है, वह आर्यभट की विधि पर आधारित है।
‘आर्यभटीय’  भारतीय गणित-ज्योतिष का पहला ग्रंथ है, जिसमें संख्याओं को शून्ययुक्‍त दाशमिक स्थानमान पद्धति के अनुसार प्रस्तुत किया गया है। आर्यभट ने वर्णमाला का उपयोग करके एक नई अक्षरांक-पद्धति को जन्म दिया।
जिन आर्यभट को अपनी विद्वत्ता के कारण ज्योतिर्विदों में बहुत गरिमापूर्ण स्थान प्राप्‍त था, उन्हीं के जीवन और कृतित्व का कांतिकारी दस्तावेज है यह पुस्तक।

Dive into the world of ancient Indian mathematicians with Mahan Khagolvid-Ganitagya Aryabhat by Dinanath Sahani. 

Discover the brilliance of the ancient Indian mathematician-astronomer Aryabhat in Mahan Khagolvid-Ganitagya Aryabhat by Dinanath Sahani. The book sheds light on Aryabhat’s groundbreaking contributions to mathematics and astronomy, showcasing his profound impact on the field.Delve into the rich legacy of ancient Indian mathematics and astronomy with Dinanath Sahani’s enlightening work, “Mahan Khagolvid-Ganitagya Aryabhat.” Sahani unravels the brilliance of the Indian mathematician-astronomer Aryabhat, showcasing the profound contributions that have shaped our understanding of the cosmos.

As you journey through Sahani’s exploration, witness the mathematical marvels and celestial insights that Aryabhat bestowed upon the world centuries ago. The revelations are not just historical anecdotes; they are the foundations of our modern understanding of the universe.

Ever wondered about the roots of mathematical and astronomical principles that govern our world today? Sahani’s meticulous research and engaging narrative paint a vivid picture of Aryabhat’s genius, making it clear that his influence transcends time.

But what if Aryabhat’s wisdom holds secrets beyond our comprehension? What if his ancient calculations and astronomical theories offer keys to unlocking mysteries that still elude us in the present day?

Discover the hidden connections between ancient wisdom and contemporary knowledge. Sahani’s work goes beyond the historical; it’s a journey of revelation, connecting dots that bridge the ancient and the modern.

Now, let’s pause and ponder: Could the mathematical genius of Aryabhat be the missing link we need to solve the puzzles of our universe today?

Unlock the mysteries of the cosmos with Sahani’s “Mahan Khagolvid-Ganitagya Aryabhat.” Short, captivating paragraphs guide you through a narrative that transcends time, inviting you to explore the profound intersections of mathematics and astronomy.

Are you ready to embrace the brilliance of Aryabhat and embark on a journey that transcends centuries?

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From the Publisher

Mahan Khagolvid-Ganitagya Aryabhat by Dinanath Sahani

Mahan Khagolvid-Ganitagya Aryabhat by Dinanath SahaniMahan Khagolvid-Ganitagya Aryabhat by Dinanath Sahani

आर्यभट ने वृत्त की परिधि और इसके व्यास के अनुपात का मान 3.1416 दिया है; जो काफी शुद्ध मान है। इसे भी उन्होंने ‘आसन्न’ यानी ‘सन्निकट’ मान कहा है।

कभी-कभी सही वैज्ञानिक सिद्धांत भी सदियों तक स्वीकार नहीं किए जाते। उन्हें प्रस्तुत करनेवाले वैज्ञानिक लंबे समय तक गुमनाम और उपेक्षित रहते हैं। विज्ञान के इतिहास में इस तरह के अनेक उदाहरण मिलते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है—आर्यभट और गणित-ज्योतिष से संबंधित उनका क्रांतिकारी कृतित्व।आर्यभट प्राचीन भारत के एक सर्वश्रेष्‍ठ गणितज्ञ-खगोलविद् थे। पाश्‍चात्य विद्वान् भी स्वीकार करते हैं कि आर्यभट अपने समय (ईसा की पाँचवीं-छठी सदी) के एक चोटी के वैज्ञानिक थे। आर्यभट भू-भ्रमण का सिद्धांत प्रस्तुत करनेवाले पहले भारतीय हैं। उन्होंने सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के वैज्ञानिक कारण दिए हैं। आर्यभट ने वृत्त की परिधि और इसके व्यास के अनुपात का मान 3.1416 दिया है; जो काफी शुद्ध मान है। इसे भी उन्होंने ‘आसन्न’ यानी ‘सन्निकट’ मान कहा है।त्रिकोणमिति की नींव भले ही यूनानी गणितज्ञों ने डाली हो; परंतु पाश्‍चात्य विद्वान् भी स्वीकार करते हैं कि आज सारे संसार में जो त्रिकोणमिति पढ़ाई जाती है; वह आर्यभट की विधि पर आधारित है।’आर्यभटीय’ भारतीय गणित-ज्योतिष का पहला ग्रंथ है; जिसमें संख्याओं को शून्ययुक्‍त दाशमिक स्थानमान पद्धति के अनुसार प्रस्तुत किया गया है। आर्यभट ने वर्णमाला का उपयोग करके एक नई अक्षरांक-पद्धति को जन्म दिया।जिन आर्यभट को अपनी विद्वत्ता के कारण ज्योतिर्विदों में बहुत गरिमापूर्ण स्थान प्राप्‍त था; उन्हीं के जीवन और कृतित्व का कांतिकारी दस्तावेज है यह पुस्तक।

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AryabhattAryabhatt

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Mahan Khagolvid-Ganitagya AryabhatMahan Khagolvid-Ganitagya Aryabhat

Aryabhatt

आर्यभट्ट गुप्तकाल के प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री थे। उन्हें दशमलव के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है। भारतीय इतिहास में उन्होंने पहली बार ज्योतिष और गणित को अलग-अलग रूपों में विवेचित किया था। लंबे समय तक वह भारतीय वैज्ञानिकों में प्रायः उपेक्षित ही रहे। बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में वह तब पुनः चर्चा में आए जब सन् 1975 में भारतीय वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में आर्यभट्ट के नाम पर एक उपग्रह प्रक्षेपित किया था।

Aryabhatt

Aryabhatta was a famous mathematician and astronomer during the Gupta period. He is credited with the discovery of the ‘ decimal’ system. For the first time in Indian history ; he analysed astronomy and mathematics as two distinct fields of study . For a long time; he remained neglected. He was in the news and became a subject of discussion in 1975 when the Indian scientists sent a satellite into the space called ‘ Aryabhatta’ after the name of Aryabhatta—the mathematician and astronomer.

Mahan Khagolvid-Ganitagya Aryabhat

आर्यभट प्राचीन भारत के एक सर्वश्रेष्‍ठ गणितज्ञ-खगोलविद् थे। पाश्‍चात्य विद्वान् भी स्वीकार करते हैं कि आर्यभट अपने समय (ईसा की पाँचवीं-छठी सदी) के एक चोटी के वैज्ञानिक थे। आर्यभट भू-भ्रमण का सिद्धांत प्रस्तुत करनेवाले पहले भारतीय हैं। उन्होंने सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के वैज्ञानिक कारण दिए हैं। आर्यभट ने वृत्त की परिधि और इसके व्यास के अनुपात का मान 3.1416 दिया है; जो काफी शुद्ध मान है। इसे भी उन्होंने ‘आसन्न’ यानी ‘सन्निकट’ मान कहा है।

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Dinanath SahaniDinanath Sahani

दीनानाथ साहनी

जन्म : बंडिल, वर्दमान (प. बंगाल)।

शिक्षा : पी-एच.डी., एम.ए.एम.सी., पी.जी.डी.जे.। प्रकाशन : ‘कागज के रथ’ (कविता-संग्रह), ‘बलि’ (नाटक), ‘हिंदी पत्रकारिता और डॉ. धर्मवीर भारती’ (शोध-प्रबंध), ‘सागरमाथा’, ‘काल कपाल’ (उपन्यास), ‘टूटते दायरे’, ‘जिस्मों में कैद दास्तानें’, ‘एक और उमराव’ (कहानी-संग्रह), ‘सूर्य का निर्वासन’, ‘पैरों के गुमनाम निशान’, ‘अपने ही शहर में’, ‘चाँद पर आवास’,‘महान् गणितज्ञ एवं खगोलविद् आर्यभट’, ‘भास्कराचार्य’ (विज्ञान), ‘समकालीन रंगमंच’, ‘नाट्यशास्त्र और रंगमंच’, ‘नाद-निनाद’ (कला-संस्कृति), ‘रंगमंच की प्रसिद्ध विभूतियाँ’, ‘अक्षरों के सितारों की बातें’ (साक्षात्कार), ‘भारत में हिंदी पत्रकारिता’, ‘हिंदी पत्रकारिता के विविध आयाम’, ‘एड्स : समाज और मीडिया’ (पत्रकारिता), ‘नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास’, ‘भगवान् बुद्ध और बिहार’ (इतिहास), ‘बिहार की सांस्कृतिक यात्रा’, ‘बिहार के सौ रत्न’ (बिहार सरकार द्वारा प्रकाशित, लेखन सहयोग)।

पुरस्कार-सम्मान :

बिहार कलाश्री पुरस्कार, बिहार हिंदी ग्रंथ अकादमी से पुरस्कृत, नूर फातिमा मेमोरियल अवार्ड, डॉ. चतुर्भुज पत्रकारिता पुरस्कार, साहित्य सम्मान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राजकीय कला पुरस्कार।

संप्रति :

दैनिक जागरण, पटना में वरिष्ठ पत्रकार एवं पटना विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में विजिटिंग प्राध्यापक।

*अन्य प्रसिद्ध लेखकों की कृतियां भी इसमें सम्मिलित हैं।

प्रकाशित एवं चर्चित कुछ अन्य कृतियां सागरमाथा काल कपाल (उपन्यास) टूटते दायरे जिस्मों में कैद दास्तानें एक और उमराव (कहानी-संग्रह) सूर्य का निर्वासन कागज के रथ (कविता-संग्रह) हिंदी पत्रकारिता और डॉ. धर्मवीर भारती (शोध-प्रबंध)

ASIN ‏ : ‎ B01MQ2DZPS
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (27 October 2016)
Language ‏ : ‎ Hindi
File size ‏ : ‎ 6683 KB
Text-to-Speech ‏ : ‎ Enabled
Screen Reader ‏ : ‎ Supported
Enhanced typesetting ‏ : ‎ Enabled
Word Wise ‏ : ‎ Not Enabled
Print length ‏ : ‎ 228 pages

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